Tuesday, December 20, 2011

मंगलमूरति मारुति नंदन.....



यदि आप वाराणसी के संकटमोचन मंदिर का दर्शन किये होंगे,तो मुख्यमंदिर में संकटमोचन जी की मूर्ति के पार्श्व दीवार पर अपना माथा टेकते समय दीवार पर उकेरित निम्न चौपाइयों को अवश्य पढ़े होंगे-

मंगलमूरति मारुति नंदन।
सकल अमंगल मूल निकंदन।1।
पवन तनय संतन हितकारी।
हृदय विराजत अवध विहारी।2।
मातपिता गुरु गणपति शारद।
शिवा समेत शंभु शुक नारद।3।
चरणकमल बंदहु सब काहू।
देहु रामपद नेह निबाहू।4।
जयजयजय हनुमान गुसाईं।
कृपा करहुँ गुरुदेव की नाईं।5।
बंदहुँ रामलखन वैदेही।
यह तुलसी के परम सनेही।6।

जब मैं बी.एच.यू. में पढ़ता था तो संकटमोचन मंदिर में होने वाले वार्षिक संगीत उत्सव को एक बार देखने व सुनने का अवसर मिला, जिसे मैं अपने जीवन के परम सौभाग्यों में मानता हूँ।इस समारोह में भारतीय संगीत की मूर्धन्य विभूतियाँ- पंडित भीमसेन जोशी,पंडित जसराज,पंडित राजन साजन मिश्र जी वहाँ पधारे थे व उनके अमृतगान को सुन श्रोतागण धन्य हो रहे थे व अपने जीवन में अलौकिक सुख को प्राप्त कर रहे थे।

कुछ वर्षों उपरांत जब मैं संकटमोचन की दीवार पर उकेरित इन पवित्र चौपाइयों के गाने की रिकार्डिंग, जो इन चारों महान विभूतियों के द्वारा सामूहिक गायन है,पहली बार सुना तो मन भाव विभोर हो उठा।तब से मेरा यह प्रियतम भक्तिगीत है,और इसे मैं नियमित ही सुनता रहा हूँ

विगत कुछ वर्षों - जब से मोबाइल पर ही गानों के स्टोरेज व सुनने की सहूलियत मिली है, तब से तो प्रतिदिन ही इसे सुनता हूँ।जितना ही इसे सुनता हूँ,इसे सुनने की मन में प्यास बढ़ती ही जाती है,और इसे सुनकर मन व हृदय को एक अलौकिक शांति की अनुभूति होती है।

जो मुझे प्रिय है उसे आपसे भी यहाँ साझा करता हूँ, और आशा करता हूँ आप भी इसे सुन अवश्य मन-हृदय से अति आनंदित अनुभव करेंगे।


2 comments:

  1. हनुमानजी बचपन से ही मित्रवत मन में बसे हैं, रामकाज कीन्हे बिना....

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  2. वाह! आनंद आ गया है.
    आपकी इस पोस्ट से मन भक्तिमय हो गया है.
    आभार... बहुत बहुत आभार.

    मंगलमूर्ति मारुतिनंदन..

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